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गूच्छी मशरूम, जिसे पहाड़ी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है, भारत की एक विशेषता है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसकी औषधीय गुण भी इसे खास बनाते हैं। भारतीय भोजन में इसकी अहमियत बहुत अधिक है, और देश के किसानों के बीच इसकी खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। गूच्छी मशरूम की कीमत इसे भारत की सबसे महंगी सब्जियों में से एक बनाती है।
कहाँ होती है गूच्छी मशरूम की खेती?
गूच्छी मशरूम स्वाभाविक रूप से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला और मनाली जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है। इसके अलावा, यह उत्तराखंड और कश्मीर के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के जंगलों में उगता है, और इसकी उपस्थिति पहाड़ी वातावरण की विशेषताओं पर निर्भर करती है।
स्थानीय लोग इसे ताटमोर या डुंघरू के नाम से जानते हैं। इसे सुखाने के बाद सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है और यह पहाड़ी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ “चरक संहिता” में इसे सर्पच्छत्रक के नाम से उल्लेख किया गया है, जिससे इसकी औषधीय गुणों का पता चलता है।
गूच्छी मशरूम की कीमत और लाभ
गूच्छी मशरूम की कीमत ₹30,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। इसकी विशेषता और कठिनाइयों के कारण इसकी मांग बहुत अधिक है। इसे जंगलों में ढूंढने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और आमतौर पर स्थानीय लोग इसे एकत्रित करते हैं। यह मशरूम विटामिन-B, विटामिन-C, और अमीनो एसिड जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके औषधीय गुण इसे खास बनाते हैं, विशेषकर दिल के रोगियों के लिए। यह मशरूम स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।
गूच्छी मशरूम की खेती का सही समय
गूच्छी मशरूम मुख्य रूप से पहाड़ों के ऊपरी क्षेत्रों में फरवरी से अप्रैल के बीच उगता है। यह मौसम इसके विकास के लिए अनुकूल होता है और इस समय इसे स्थानीय बाज़ारों में उपलब्ध कराया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मांग और पीएम मोदी की रुचि
गूच्छी मशरूम की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इटली और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों में भी है। इसे अच्छी तरह से सुखाकर बाजार में उतारा जाता है, जिससे इसकी गुणवत्ता और मूल्य बढ़ जाता है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गूच्छी मशरूम में अपनी रुचि दिखाई है। उन्होंने बताया कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो वे कभी-कभी इस मशरूम का सेवन करते थे और इसे अपने स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानते थे।