रबी का सीजन शुरू हो चूका है, किसान फसलों की बुआई की तैयारी में लग गए है. गेहूं, चना, सोयाबीन, सरसों आदि फसलों की बुआई की जायेगी। किसानो को बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए अगेती सरसो की खेती फायदेमंद साबित हो सकती है. आपको आज हम अगेती सरसो की टॉप किस्मो के बारे में बताने जा रहे है। इन किस्मो को अच्छी उपज और तेल की मात्रा के लिए जाना जाता है.
पूसा ज्वालामुखी किस्म
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूसा संस्थान की ओर से विकसित इन किस्मो की खासियत है की यह इनमे तेल की मात्रा अधिक पायी जाती है, इनमे सरसों की पूसा ज्वालामुखी किस्म भी है यह किस्म 120 से 130 दिनों में तैयार होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है. इसकी 25 से 30 क्विंटल तक पैदावार प्रति एकड़ होती है. उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के लिए उपयुक्त किस्म है.
पूसा बोल्ड किस्म
सरसों की पूसा बोल्ड किस्म भी सरसो की उन्नत किस्म है यह किस्म 20 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज देती है, सरसों की यह किस्म 120 से 130 दिन में पककर तैयार होती है. यह किस्म भी रोगो के प्रति सहनशील होती है.
पूसा अग्रनी किस्म
सरसों की पूसा अग्रनी किस्म इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर तक की जा है। सरसों की यह किस्म 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 22 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार प्राप्त की जा सकती है।यह किस्म उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए बढ़िया मानी जाती है. +
पीएल 501 किस्म
सरसों की पीएल 501 किस्म 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार देती है। इस किस्म में तेल की मात्रा 42 से 45 प्रतिशत तक पाई जाती है.
आरएलसी-1 किस्म
सरसों की आरएलसी-1 किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार होती है। इसमें तेल की मात्रा 42 से 45 प्रतिशत और 25 से 30 क्विंटल तक पैदावार देती है। यह किस्म रोग प्रतिरोधी किस्म उत्तरी भारत, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के लिए उपयुक्त मानी जाती है.