Business Idea: किसानो के लिए कमाई में चार चाँद लगा देगी धैंचा की खेती, एक फसल पर होगा 10 लाख का फायदा, खेती की उर्वरता बढ़ाने के लिए हरा खाद (ग्रीन मैन्योर) का बिजनेस आपके लिए बेहतरीन साबित हो सकता है। खास बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं होता है। हरा खाद बनाने के लिए आपको धैंचा की खेती करनी होती है, जिसे ग्रीन मैन्योर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हरियाणा सरकार भी धैंचा की खेती के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है।
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खेती से जुड़ा बिजनेस: एक शानदार अवसर
आज हम खेती से जुड़े बिजनेस आइडिया पर चर्चा कर रहे हैं। आप इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अब खेती के लिए कई प्रकार की आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से खेती करना बहुत आसान हो गया है। अगर आप खेती के जरिए अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं, तो हरा खाद बनाने का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। देश के कई राज्य सरकारें इसे बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता भी दे रही हैं।
धैंचा, जिसे हरा खाद के रूप में जाना जाता है, आपकी जमीन की उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है। अगर आप इसे अपनी जमीन पर उगाते हैं, तो यह किसी खाद से कम नहीं है।
हरियाणा सरकार की सहायता
हरियाणा सरकार ने 2023-24 के बजट में प्राकृतिक खाद को बढ़ावा देने के लिए बड़ी घोषणा की है। राज्य सरकार ने धैंचा की खेती पर प्रति एकड़ ₹720 (80% लागत मूल्य) वहन करने की घोषणा की है। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। हरा खाद के उपयोग से यूरिया की आवश्यकता काफी हद तक समाप्त हो जाती है।
कैसे करें धैंचा की खेती?
धैंचा की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है, लेकिन यदि आप अधिक उत्पादन चाहते हैं, तो इसे खरीफ सीजन में बो सकते हैं। सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करना जरूरी है। इसे सरसों की तरह पंक्तियों में बोया जा सकता है या छिड़काव विधि से भी। यदि आपका उद्देश्य केवल हरा खाद बनाना है, तो एक बार जुताई करके धैंचा को छिड़काव विधि से बो सकते हैं। धैंचा सामान्य तरीके से उगाया जाता है और इसकी बुआई के एक से सवा महीने के भीतर इसके पौधों की ऊंचाई 3 फीट तक पहुंच जाती है। इसके तनों में नाइट्रोजन की भरपूर मात्रा होती है। इस समय इसे काटकर खेतों में फैला दिया जाता है।
हरा खाद का लाभ
धैंचा की खेती करने के बाद इसे हरा खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इससे यूरिया की जरूरत एक-तिहाई तक कम हो जाती है। हरा खाद बनने के बाद खेतों में खरपतवार उगने की संभावना नहीं रहती, जिससे निराई और खरपतवार नियंत्रण की बड़ी लागत बचती है। इससे किसानों के खर्चे कम होंगे और उनकी आमदनी बढ़ेगी। एक एकड़ में धैंचा की खेती से 25 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है। बाजार में धैंचा के बीज की कीमत लगभग ₹40 प्रति किलोग्राम है। ऐसे में धैंचा की फसल से आसानी से ₹10 लाख तक की कमाई की जा सकती है।