दिवाली से पहले महंगाई का बम फुस्स, सरसों तेल हुआ सस्ता, खुश हुए किचन के महारथी शनिवार को दिल्ली की थोक तेल-तिलहन मंडी में सरसों और अन्य तिलहनों के दामों में गिरावट देखी गई। इसका मुख्य कारण NAFED की लगातार बिकवाली रही, जबकि अमेरिकी शिकागो एक्सचेंज में रात को 2% से अधिक की बढ़त से सोयाबीन तेल की कीमतें स्थिर रहीं। अन्य तेलों जैसे मूंगफली, सोयाबीन, सीपीओ और पामोलिन के दाम स्थिर रहे। बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार द्वारा सस्ते आयातित खाद्य तेलों पर शुल्क बढ़ाने के फैसले के बाद, NAFED का तीन साल पुराना सरसों का स्टॉक खपत में आ रहा है, जिससे किसानों को भी अच्छे दाम मिले हैं और तेल क्रशिंग मिलों में काम बढ़ा है।
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मूंगफली तेल में गिरावट और किसानों को फायदा
शुल्क वृद्धि के बावजूद सरसों तेल में सिर्फ ₹10 प्रति लीटर की वृद्धि हुई है जबकि सबसे महंगे मूंगफली तेल के दाम ₹5-7 प्रति लीटर घट गए हैं। इससे देश में बंद पड़ी मिलों को फिर से चालू करने और किसानों को लाभ पहुंचाने में मदद मिली है। राजस्थान में मूंगफली तेल अब सरसों और आयातित तेलों से सस्ते दामों पर मिल रहा है। खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले 15 वर्षों से कोई विशेष वृद्धि न होने के कारण देश में तिलहन उत्पादन भी स्थिर बना हुआ है, जिससे आत्मनिर्भरता की जरूरत और बढ़ गई है।
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सोयाबीन तेल में हल्की बढ़त
शिकागो एक्सचेंज में मजबूती के कारण सोयाबीन तेल के दामों में हल्की बढ़त देखी गई, हालांकि DOC की ऊंची कीमतों के चलते सोयाबीन तिलहन के दाम स्थिर रहे। मूंगफली तेल में भी स्थिरता रही, जबकि सर्दियों में कम मांग के कारण CPO और पामोलिन की कीमतें भी पूर्व स्तर पर रहीं।