सोयाबीन की फसल पककर तैयार हो चुकी है, अब किसान गेहूं की बोनी करने वाले है,गेहूं की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जो कम लागत में उगाकर किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती हैं। खास बात यह है कि कुछ किस्में कम सिंचाई में भी बेहतर उत्पादन देती हैं।
यह भी पढ़िए :- नाश्ता बेचने वाली काकी का आज टर्न ओवर ₹3,00,00,000, जाने कैसे बनाया बड़ा बिजनेस
पूसा तेजस
एक उच्च उत्पादकता वाली और रोग प्रतिरोधक गेहूं की किस्म है, जिसे इंदौर कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 65 से 75 क्विंटल तक उत्पादन देती है। पूसा तेजस काले और भूरे रतुआ रोगों के लिए प्रतिरोधी है। इसके दाने बड़े, चमकदार और लंबे होते हैं, जो इसे रोटी और बेकरी उत्पादों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। इसकी फसल 115 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, और इसके एक पौधे में 10 से 12 कल्ले होते हैं, जो उत्पादन को बढ़ाते हैं।
GW 322
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच लोकप्रिय है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 60 से 65 क्विंटल उत्पादन देती है। इसकी रोटी मुलायम और स्वादिष्ट होती है। GW 322 सूखे की स्थिति को सहन कर सकती है और इसके लिए सिर्फ 3 से 4 बार सिंचाई की जरूरत होती है। यह किस्म भी विभिन्न रोगों के प्रति प्रतिरोधी है और 115 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है।
HD 4728
जिसे पूसा मालवी के नाम से भी जाना जाता है, सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म मध्य भारत में 120 दिनों में पककर तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 55 से 57 क्विंटल उत्पादन देती है। इसे 3 से 4 सिंचाइयों की जरूरत होती है और यह हल्की सूखा स्थिति भी सहन कर सकती है। इस किस्म से दलिया, सूजी, बाटी जैसे पोषक व्यंजन तैयार किए जा सकते हैं।
यह भी पढ़िए :- Free Solar Rooftop Yojana: फ्री में घर की छत पर लगाए सोलर पैनल और पाए 78000 रूपये की सब्सिडी, मिलेगी मुफ्त बिजली
श्रीराम 11
किस्म मध्य प्रदेश के किसानों में लोकप्रिय है। यह देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है और 3 महीनों में तैयार हो जाती है। इसके दाने चमकदार होते हैं और इसका उत्पादन औसतन 22 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। इसे श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है, जिससे किसानों को अधिक पैदावार प्राप्त होती है।