Top Wheat Variety 2024: गेहूं की ये टॉप किस्मे महज 3 सिचाई में देगी बम्पर पैदावार, एक बार में किसानो कर देगी खुश, गेहूं की फसल उगाने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। आमतौर पर गेहूं की फसल में 4 से 5 बार सिंचाई करनी पड़ती है, लेकिन कुछ गेहूं की ऐसी किस्में भी हैं, जो सिर्फ 2 से 3 बार सिंचाई में ही पककर तैयार हो जाती हैं।
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खरीफ की फसल धान की कटाई के बाद किसान अब रबी की फसल गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं। गेहूं की कई ऐसी किस्में हैं, जिन्हें किसान कम लागत में उगाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। खास बात यह है कि कुछ किस्में कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन देती हैं।
गेहूं की टॉप उन्नत किस्में
1. पुसा तेजस (Pusa Tejas)
पुसा तेजस एक उच्च उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी गेहूं की किस्म है, जिसे इंदौर कृषि अनुसंधान केंद्र में विकसित किया गया है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 65 से 75 क्विंटल तक उत्पादन देती है। पुसा तेजस काली और भूरे जंग रोगों के प्रति प्रतिरोधी है, और इसके दाने बड़े, चमकदार और लंबे होते हैं। यह किस्म रोटी और बेकरी उत्पादों के लिए बहुत उपयुक्त है। बुवाई के 115 से 125 दिनों के बाद यह तैयार हो जाती है, और एक पौधे में 10 से 12 शाखाएं होती हैं, जो उपज बढ़ाने में सहायक होती हैं।
2. GW 322
GW 322 गेहूं की एक लोकप्रिय किस्म है, जिसे खासतौर पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान उगाते हैं। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 60 से 65 क्विंटल तक उत्पादन देती है। इस किस्म से बनी रोटी नरम और स्वादिष्ट होती है। GW 322 सूखा सहने की क्षमता रखती है और इसे केवल 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है। यह किस्म कई सामान्य बीमारियों के प्रति भी प्रतिरोधी है और 115 से 120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
3. HD 4728 (पुसा मालवी)
HD 4728, जिसे पुसा मालवी के नाम से भी जाना जाता है, सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म विशेष रूप से मध्य भारत के लिए अच्छी मानी जाती है और 120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 55 से 57 क्विंटल तक उत्पादन देती है और इसे 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है। यह किस्म हल्के सूखे को भी सहन कर सकती है। इससे पौष्टिक व्यंजन जैसे दलिया, बाटी, सूजी आदि भी बनाए जा सकते हैं।
4. श्रीराम 11
श्रीराम 11 गेहूं की किस्म मध्य प्रदेश के किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय है। यह किस्म देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है और 3 महीनों में तैयार हो जाती है। इसके दाने चमकदार होते हैं और यह प्रति एकड़ 22 क्विंटल तक औसत उत्पादन देती है। इस किस्म को श्रीराम फर्टिलाइज़र और केमिकल्स के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है, जो किसानों को अधिक उपज देने में मदद करती है।
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
इन उन्नत किस्मों के माध्यम से किसान कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए ये किस्में बेहद फायदेमंद हैं, जहां सिंचाई के साधन सीमित हैं।