धन्ना सेठ बनने का तगड़ा मौका, एक एकड़ में बनोगे करोड़पति, जाने इस जबरजस्त फसल का नाम

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धन्ना सेठ बनने का तगड़ा मौका, एक एकड़ में बनोगे करोड़पति, जाने इस जबरजस्त फसल का नाम।

नमस्ते दोस्तों आज आपके लिए बहुत ही शानदार फल की खेती के बारे में बात करने जा रहे है जिसकी खेती कर होगा बंफर मुनाफा। कई किसान इस फसल की खेती को बहुत ही तेजी से लखो रूपये कमा रहे है। जिस फल की हम बात कर रहे ही उस फल का नाम तरबूज है। शुरू कीजिये आप इस फसल की खेती चलिए जानते ही कैसे की जाती है इस फसल की खेती।

तरबूज की खेती

जलवायु और मिट्टी

तरबूज गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छे से उगता है। इसे 20-30 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है। मिट्टी हल्की, बलुई से लेकर दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी की pH 6.0 से 7.0 के बीच होनी चाहिए।

बीज का चयन

उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। विभिन्न किस्में जैसे कि “सुगार बेबी”, “क्लासिक”, और “किशमिश तरबूज” में से चुन सकते हैं।

बुवाई का समय

तरबूज की बुवाई आमतौर पर फरवरी से अप्रैल और जून से अगस्त के बीच की जाती है, मौसम के अनुसार।

बुवाई की प्रक्रिया

  • बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई में बोएं। पंक्तियों के बीच 1.5 से 2 मीटर की दूरी रखें।
  • अगर आपको पौधों के बीच में जगह चाहिए, तो पंक्तियों के बीच 2-3 मीटर की दूरी रखें।

सिंचाई

तरबूज को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से फूल और फल बनने के समय। लेकिन ध्यान रखें कि पानी जमने से बचें।

खाद और उर्वरक

बुवाई से पहले अच्छी मात्रा में जैविक खाद डालें। NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटेशियम) का संतुलित उर्वरक उपयोग करें।

कटाई

जब तरबूज का रंग गहरा हो जाए और फल की बाहरी परत पर खुरदुरापन आ जाए, तब कटाई का समय होता है। आमतौर पर, यह 70-90 दिन बाद होता है। तरबूज न केवल ताजगी और स्वाद में उत्कृष्ट है, बल्कि यह हाइड्रेशन और पोषण के लिए भी लाभकारी है। इसकी खेती से अच्छी आय हो सकती है।

कमाई

तरबूज की खेती से होने वाली कमाई कई कारकों पर निर्भर करती है, तरबूज की कीमत बाजार में भिन्न होती है। सामान्यत यह ₹10 से ₹25 प्रति किलोग्राम तक हो सकती है, मौसम और स्थान के आधार पर। खेती की कुल लागत (बीज, खाद, उर्वरक, श्रम, सिंचाई, आदि) आमतौर पर ₹50,000 से ₹1,00,000 प्रति एकड़ होती है। इस तरह, तरबूज की खेती से प्रति एकड़ शुद्ध लाभ ₹2,00,000 से ₹2,50,000 या उससे अधिक हो सकता है, लेकिन यह स्थानीय बाजार, मौसम, और खेती की तकनीकों पर निर्भर करेगा। उचित प्रबंधन और सही समय पर बुवाई से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

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